दोस्तों हो ना हो आप में से बहुतों ने म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) के बारे में तो जरूर सुना होगा। बहुत सारे टीवी या मोबाइल में एड्स भी देखे होंगे। म्युचुअल फंड्स सही है। पर क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर “म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) क्या है“? आज के इस आर्टिकल में हम लोग यही सीखेंगे कि Mutual Funds Kya Hota Hai? Mutual Funds के क्या-क्या फायदे हैं? क्या आपको म्युचुअल फंड्स में पैसे निवेश करने चाहिए। इस आर्टिकल में हम लोग म्युचुअल फंड्स के कई प्रकारों के बारे में जानेंगे। दोस्तों Mutual Funds के बारे में मैं आपको पूरी जानकारी दूंगा लेकिन आपको यह आर्टिकल पूरा पढ़ना होगा। जब आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़ लेंगे फिर आपको Mutual Funds के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो जाएगी।
म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) क्या है?
Mutual Funds क्या होते हैं? दोस्तों Mutual Funds दो शब्दों से मिलकर बना है: Mutual + Funds = Mutual Funds
Mutual मतलब Common होता है और Funds का मतलब तो आप जानते ही हैं। इस तरह से mutual fund का मतलब Common Fund हुआ। जी हां दोस्तों म्यूच्यूअल फंड कुछ और नहीं बस यह एक ऐसा फंड है जहां पर जहां पर बहुत सारे लोगों के पैसों को एक जगह इकठ्ठा करके रखा जाता है। इस इकट्ठे पैसे को हम उस म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) का AUM – ASSET UNDER MANAGEMENT कहते हैं।
उसके बाद इकठ्ठे किए हुए फंड को अच्छे से अच्छे जगहों पर निवेश (Investment) किया जाता है। ताकि ज्यादा से ज्यादा रिटर्न मिल सके। दोस्तों हर म्यूच्यूअल फंड को मैनेज करने के लिए प्रोफेशनल होते हैं, जिन्हें हम फंड मैनेजर भी कहते हैं। म्यूचुअल फंड में कलेक्ट किए हुए फंड को कहां निवेश (Investment) करना है और कितना निवेश (Investment) करना है यह सारा निर्णय फंड मैनेजर ही करते हैं।
Mutual Funds कितने तरह के होते हैं?
दोस्तों Mutual Funds को हम लोग दो आधारों पर बांट सकते हैं:
1.Asset
दोस्तों Assets के आधार पर म्युचुअल फंड्स 3 तरह के होते हैं।
A. Equity
यह वैसे Mutual Funds होते हैं जो स्टॉक मार्केट (Stock Market) में इन्वेस्ट किए जाते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपके पैसे अच्छे कंपनियों के शेयर्स में निवेश (Investment) हो तो आप Equity mutual funds में इन्वेस्ट (Investment) कर सकते हैं।
B. Debt
इस तरह के म्युचुअल फंड्स साधारणतः गवर्नमेंट बॉन्ड्स या ट्रेजरी बैलेंस में इन्वेस्ट करते हैं। यदि आप चाहते हैं कि आपके पैसे शेयर्स (Shares) के बजाएं अच्छे बॉन्ड्स में इन्वेस्ट हो तो आप Debt mutual fund में निवेश (Investment) कर सकते हैं।
Risk – Debt mutual fund < Equity Mutual fund
C. Hybrid
यह वैसे Mutual Funds होते हैं जो equity और Debt दोनों में निवेश (Investment) करते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपके कुछ पैसे शेयर्स और कुछ बॉन्ड्स में हो तो आप Hybrid Mutual funds में इन्वेस्ट कर सकते हैं।
Risk/Return
Debt mutual fund < Hybrid Mutual Funds < Equity Mutual fund
दोस्तों यह थे assets के आधार पर तीन तरह के म्युचुअल फंड्स।
2. दोस्तों Structure के आधार पर भी 3 तरह के Mutual Funds होते हैं।
A. Open ended
यह वैसे म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) होते हैं, जिसमें हम कभी भी निवेश (Investment) और सेल कर सकते हैं।
B. Closed ended
इस तरह के म्युचुअल फंड्स में हम केवल शुरुआत में ही इन्वेस्ट कर सकते हैं। उसके बाद जब तक Mutual Funds के टर्म्स खत्म नहीं होते हैं। तब तक ना तो हम इसे इसमें निवेश (Investment) कर सकते हैं और ना ही इसे बेच सकते हैं।
C. Interval
इस तरह के Mutual Funds में हम इन्वेस्ट और सेल एक खास समय अंतराल के बाद ही कर सकते हैं। और यह interval म्युचुअल फंड्स डिसाइड करते हैं। अंतराल खत्म होने के बाद ना तो हम इसमें निवेश (Investment) कर सकते हैं और ना ही इसे बेच सकते हैं।
तो दोस्तों यह structure के आधार पर तीन म्युचुअल फंड थे।
History of म्यूच्यूअल फंड (Mutual Funds) in India
एक Develop Economy के लिए बिजनेस Participation के साथ एक Strong financial market की जरूरत होती है। इस उद्देश्य के साथ इंडिया का पहला म्यूच्यूअल फंड (Mutual Funds) 1963 में यूटीआई, भारत सरकार और आरबीआई (RBI) की जॉइंट पहलू पर शुरू किया गया। पिछले कुछ सालों में mutual fund industry में बहुत उनत्ति हुई है। भारत के इतिहास में म्युचुअल फंड को पांच हिस्सों में देखा जाता है:
First phase 1964 – 1987
भारत में Mutual funds के First phase को 1964 – 1987 माना जाता है। भारत में म्यूच्यूअल फंड (Mutual Funds) इंडस्ट्री 1963 में इंडियन पार्लमेंट के एक एक्ट द्वारा यूटीआई के साथ शुरू हुआ। और RBI के Rules And Regulations के कंट्रोल में काम शुरू किया गया। यूनिट स्कीम 1964 UTI द्वारा शुरू की गई पहली स्कीम थी। 1988 के अंत में, भारत मे UTI Mutual Funds के पास ₹6700 करोड़ था।
Second phase 1987 – 1993
भारत में म्यूचुअल फंड के Second phase की शुरुआत 1987 से माना जा सकता है। साल 1987 में पब्लिक एरिया में बैंक और भारतीय जीवन बीमा निगम( LIC ) जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने पब्लिक सेक्टर के लिए Mutual Funds शुरू किया।
SBI mutual fund की स्थापना June 1987 में की गई। और यह पहला Non UTI म्युचुअल फंड था। जिसके बाद पंजाब नेशनल बैंक म्यूच्यूअल फंड (Mutual Funds), इंडियन बैंक म्यूच्यूअल फंड, जैसे कई सारे म्युचुअल फंड आए। Lic ने जून 1989 में अपना म्यूच्यूअल फंड शुरू किया। 1993 में Mutual Funds के पास ₹47004 करोड़ का AUM (asset unit management) था।
3rd phase 1993 – 2003
भारत में म्यूच्यूअल फंड (Mutual Funds) का 3rd phase 1993 से 2003 तक रहा। History of mutual fund की बात करें तो 1993 में म्यूच्यूअल फंड का एक नया इतिहास शुरू हुआ। क्योंकि इससे पहले सभी म्यूच्यूअल फंड (Mutual Funds) एजेंसी यूटीआई म्युचुअल फंड के अंदर काम करती थी।
लेकिन 1993 में SEBI (Securities and Exchange Board of India) स्टाइलिश हुआ। इसके आने के बाद अब सभी म्यूच्यूअल फंड को इसके रूल्स एंड रेगुलेशन को फॉलो करना था। SEBI द्वारा Mutual Funds के मार्केट को Organisation तरीके से Develop और रेगुलेट करने के लिए म्यूच्यूअल फंड रेगुलेशन एक्ट 1993 लाया गया। और प्राइवेट सेक्टर Banks को भी mutual fund scheme की छूट मिल गई थी।
1993 के इस एक्ट में चेंजेज हुए और बाद में 1996 में म्यूच्यूअल फंड रेगुलेशन एक्ट 1996 आया। अगर म्यूच्यूअल फंड (Mutual Funds) ऑर्गेनाइजेशन की बिजनेस की बात करें। तो वर्ष 2003 के अंत तक कुल 33 Mutual Funds Organisation काम कर रहे थे। जिसका बिजनेस एक लाख 22 हजार करोड़ से भी ऊपर हो चुका था।
4th phase 2003 – 2014
आइए अब 4th phase की बात करते हैं। फरवरी 2003 में यूटीआई म्यूचुअल फंड एक्ट 1963 के खत्म होने के बाद। Unit Trust of India को दो अलग-अलग संस्थाओं में विभाजित कर दिया गया।
2019 financial crisis में फाइनेंसियल मार्केट ऑल टाइम Low Level पर आ गया था। और इंडियन मार्केट भी इस से नहीं बच पाया था। ज्यादातर मार्केटर्स ने मार्केट के डाउन फॉल के वजह से पैसे खो दिए थे। उन्हें बहुत नुकसान हुआ था। Indian mutual funds industry ने इस समस्या से निकलने के लिए बहुत ही ज्यादा संघर्ष किया। और अगले 2 सालों में खुद को फिर से तैयार किया।
5th phase 2014 – Now Days
Phase 5 में 2014 के बाद से शुरू हुआ। इंडिया मे टियर 2 और टियर 3 शहरों में म्यूच्यूअल फंड (Mutual Funds) के लिए लोगों को जागरूक करने और इन्वेस्टर के security को ध्यान में रखते हुए SEBI September 2012 में कई प्रोग्रेसिव रूल्स एक्टिव की है।
SEBI के यह rules इंडियन म्यूच्यूअल फंड मार्केट को Develop करने में helpful हुए। May 2014 के बाद से इंडियन म्युचुअल फंड मार्केट ने कम अपोजिट AUM और साथ ही investor’s progress का नया इतिहास लिखा। Future में सभी ऐसेट मैनेजमेंट कंपनियां लगभग 23 लाख करोड़ रूपए की property को मैनेज करती हैं।
Specialist का कहना है कि Indian investors ने अपनी सेविंग का एक हिस्सा मैट्रियल पोजीशंस जैसे Golds And Property लेकर financial instrument bonds और सिल्वर में बदलना शुरू कर दिया है। हालांकि AMFI और सरकार को Mutual Funds निवेश करने के लिए इंडियन स्कोर और भी ज्यादा इनकरेज करने की जरूरत है।
तो दोस्तों यह तो था म्यूच्यूअल फंड (Mutual Funds) का इतिहास अब हम लोग देखेंगे कि म्यूच्यूअल फंड (Mutual Funds) से हमें क्या-क्या फायदे होते हैं?
म्यूच्यूअल फंड से हमें क्या फायदे हैं?
दोस्तों हम म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करके हम अच्छे कंपनियों में निवेश (Investment) कर सकते हैं। लगाकर ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाना चाहते हैं। ताकि हमारे निवेश पर हमें ज्यादा से ज्यादा रिटर्न मिल सके।
म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करना स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने से बहुत ही कम रिस्क होता है। क्योंकि फंड मैनेजर्स हम से कहीं ज्यादा समझदार और अनुभवी होते हैं। उनका कोशिश यही होता है कि ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कैसे किया जाए और वे जोखिम को बहुत ही अच्छे से मैनेज करते हैं।
दोस्तों यह हमारे हाथ में है कि हम जोखिम और रिटर्न को अच्छे से मैनेज करके एक अच्छा Mutual Funds का चयन कर सकते हैं। फिर उसमें निवेश कर सकते हैं। और अगर हम लंबे समय के लिए इस पर निवेश करें तो हम उससे अच्छे पैसे भी कमा सकते हैं।
Conclusion
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने सीखा “म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) क्या है“? म्यूच्यूअल फंड कितने तरह के होते हैं? म्यूच्यूअल फंड से हमें क्या-क्या मुनाफा होता है? म्यूचुअल फंड में पैसे निवेश करने से पहले हमें किन किन बातों पर ध्यान रखना चाहिए? कौन सा ऐसा म्यूच्यूअल फंड है जिसमें जोखिम और रिटर्न ज्यादा या कम होता है? तो दोस्तों आपको हमारा आज का यह आर्टिकल कैसा लगा आप हमें नीचे कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं अगर अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर भी जरूर करें।