रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?”

हिंदू धर्म में त्यौहारों और पर्व की कोई कमी नहीं है| साल भर में हिन्दू धर्म में अनेक ऐसे त्योहार मनाए जाते हैं,जो बहुत ही आनंददायक होते हैं| इसीलिए साल भर में हम अलग-अलग त्योहार मनाते हैं फिर चाहे वह महाशिवरात्रि का त्यौहार हो, चाहे दीपावली का त्यौहार हो, चाहे होली का त्यौहार हो या फिर कृष्ण जन्माष्टमी हो| आज हम इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे कि आखिर “रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?”

हर त्यौहार का अपना-अपना महत्व है और सभी त्योहार के साथ कोई ना कोई पौराणिक कथा जुड़ी हुई है| होली, दीपावली, नवरात्रि, कृष्ण जन्माष्टमी, गणेश उत्सव के अलावा हमारे धर्म में एक ऐसा पर्व मनाया जाता है जिसे भाई-बहन के बीच प्रेम का प्रतीक माना जाता है| जी हाँ, हम बात कर रहे हैं रक्षाबंधन के त्यौहार की|

रक्षाबंधन के त्यौहार के दिन एक बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसकी लंबी उम्र की तथा उसकी अच्छी जिंदगी की कामना करती है, वही भाई भी अपने सामर्थ्य के अनुसार बहन को गिफ्ट देता है या फिर जिंदगी भर उसकी रक्षा करने का वचन देता है| इस प्रकार से Rakshabandhan ka tyohar मनाया जाता है|

हालांकि कई लोग ऐसे भी हैं, जो रक्षाबंधन का त्यौहार तो मनाते हैं परंतु उन्हें यह नहीं पता होता है कि आखिर Rakshabandhan ka tyohar Kyu Manaya jata hai, इस आर्टिकल में हम आपको इसी से संबंधित जानकारी प्रदान करने वाले हैं|

 

रक्षाबंधन क्या है ?

Raksha bandhan हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है| जिसमें एक बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसकी लंबी उम्र की दुआ करती है, वही भाई भी अपनी इच्छा शक्ति के अनुसार बहन को भेंट स्वरुप उपहार देता है, साथ ही जिंदगी भर उसकी रक्षा करने का वचन देता है|

 

रक्षाबंधन की मीनिंग – Rakshabandhan Meaning in Hindi

रक्षाबंधन का शब्द 2 अक्षरों से मिलकर बना है जो है “रक्षा” और “बंधन” और संस्कृत भाषा में इसका मतलब होता है रक्षा का बंधन यानी एक ऐसा बंधन, जो सहायता देता है|

 

रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि रक्षाबंधन का त्यौहार भाई और बहन के बीच अटूट प्यार को दर्शाता है| रक्षाबंधन के त्यौहार के दिन बहन सुबह नहा धोकर भगवान की पूजा करती है और उसके बाद शुभ मुहूर्त में अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसे चंदन का या फिर कुमकुम का तिलक लगाती है| इस प्रकार वह मन ही मन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती है, वही भाई भी अपनी बहन को गिफ्ट देता है| इसके अलावा जिंदगी भर उसकी संकट में रक्षा करने का वचन भी देता है|

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, रक्षाबंधन का त्यौहार सिर्फ सगे भाई बहन ही नहीं मनाते हैं बल्कि देश के कुछ भागों में रक्षाबंधन के त्यौहार में लड़कियां अपने गुरु, ब्राह्मण, पड़ोसी, अपने रिश्तेदार या फिर अपने पापा और दादा को भी राखी बांधती हैं| इसके अलावा लड़कियां कॉलेज और स्कूल में जिसे अपने भाई की तरह मानती है, उसे भी रक्षाबंधन के त्यौहार के दिन Rakhi बांधती है|

 

2021 में रक्षाबंधन कब है?

साल 2021 में रक्षाबंधन Shravan Maas की पूर्णिमा को पड़ रहा है, जो 22 अगस्त को आएगा| इस प्रकार साल 2021 में रक्षाबंधन 22 अगस्त को मनाया जाएगा| Rakhi 2021 festival 22 agust दिन रविवार को है।

 

रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है?

रक्षाबंधन के दिन बहनें जल्दी उठकर स्नान करती है, फिर शुभ मुहूर्त के अनुसार बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसकी आरती उतारती है,साथ ही उसे मिठाई खिलाती है| इसके बाद भाई अपनी बहन को कोई ना कोई gift देता है और जो लोग अपनी बहन को गिफ्ट नहीं देते हैं,वह अपनी बहन को आशीर्वाद देते हैं और वह जिंदगी भर उसकी रक्षा करने का वचन भी देते हैं|

 

रक्षाबंधन से संबंधित पौराणिक कहानियां 

रक्षाबंधन से संबंधित कई प्रकार की पौराणिक कहानियां है, जिसके बारे में नीचे हम आपको जानकारी दे रहे हैं|

 

रक्षाबंधन से संबंधित इंद्र देवता की कहानी

रक्षाबंधन से संबंधित इंद्र देवता की कहानी के अनुसार एक बार इंद्र देवता को राजा बलि नाम के राक्षस ने युद्ध में हरा दिया, जिसके बाद इंद्र देवता की पत्नी सची ने भगवान विष्णु के सामने अपने दुख को प्रकट किया| भगवान विष्णु ने इंद्र देवता की पत्नी की बातों को सुनकर उन्हें एक धागा दिया और उनसे कहा कि इसे जाकर इंद्र देवता के हाथ में बांध देना|

इंद्र देवता की पत्नी ने बिल्कुल ऐसा ही किया| इसके बाद जब इंद्र देवता ने दोबारा से राजा बलि से युद्ध किया तो भगवान विष्णु की शक्ती के कारण इंद्र देवता ने युद्ध में राजा बलि नाम के राक्षस को हरा दिया| इसके बाद से ही पवित्र धागे की रस्म की शुरुवात  हुई|

 

माता लक्ष्मी और राजा बलि की कहानी

रक्षाबंधन से संबंधित दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु ने राजा बलि को हराकर तीनों लोको पर कब्जा कर लिया| भगवान विष्णु से युद्ध में हारने के बाद राजा बलि ने भगवान विष्णु से निवेदन किया कि आप मेरे साथ महल में रहिए, क्योंकि मेरे पास आपके अलावा कुछ भी नहीं बचा है|

परंतु जब माता लक्ष्मी को यह बात पता चली तो उन्हें यह बात बिल्कुल भी पसंद नहीं आई और माता लक्ष्मी जी ने विष्णु भगवान को वापस वैकुंठ चलने के लिए कहा परंतु भगवान विष्णु राजा बलि के बंधन में बंध चुके थे| इसके बाद माता लक्ष्मी जी ने राजा बलि के हाथों में धागा बांधा और उनसे कहा कि आप विष्णु जी को अपने वचन से मुक्त कर दीजिए जिसके बाद राजा बलि ने विष्णु जी को अपने वचन से मुक्ति दी और तत्पश्चात माता लक्ष्मी विष्णु भगवान के साथ वैकुंठधाम चली गई|

 

संतोषी माता की पौराणिक कथा

भगवान विष्णु के 2 पुत्र थे जिनके नाम शुभ और लाभ थे और इन दोनों पुत्रों को एक बहन की कमी खलती थी| इसके बाद इन्होंने अपनी इच्छा भगवान गणेश के सामने व्यक्ति की|

इसके बाद गणेश जी ने अपनी दोनों पत्नियों रिद्धि और सिद्धि से एक पुत्री की कामना की, जिसके बाद रिद्धि सिद्धि ने अपनी शक्ति का इस्तेमाल करके एक पुत्री को जन्म दिया जिसका नाम संतोषी माता रखा गया| इस प्रकार भगवान विष्णु के पुत्र शुभ और लाभ को एक बहन मिल गई, जिसके बाद उन्होंने राखी बंधवा कर रक्षाबंधन के त्यौहार को पूरा किया और वर्तमान के समय में माता संतोषी की पूजा पूरे भारत में काफी श्रद्धा के साथ की जाती है|

 

रक्षाबंधन से संबंधित द्रौपदी और भगवान कृष्ण की कहानी

महाभारत में जब कौरव और पांडव के बीच युद्ध चालू हो गया था, तब माता द्रोपदी ने भगवान श्री कृष्ण की कलाई पर राखी बांधी थी और माता द्रोपदी ने भगवान कृष्ण से यह प्रार्थना की थी कि वह युद्ध में पांडवों की रक्षा करेंगे| इसके बाद उसी समय माता द्रोपदी ने अपने पोते अभिमन्यु की कलाई पर भी रक्षा कवच बांधा था और श्री कृष्ण से कहा था कि इन सभी की सुरक्षा करना|

 

रक्षाबंधन से संबंधित यम और यमुना की कहानी

रक्षाबंधन से संबंधित पौराणिक कथाओं के अनुसार यमराज जी अपनी लाइफ में इतने ज्यादा व्यस्त थे कि वह 12 सालों तक अपनी बहन से नहीं मिले, जिसके बाद एक दिन यमराज जी की बहन ने अपनी परेशानी को गंगा माता के सामने व्यक्त किया, तो गंगा माता ने पूछा कि तुम अपनी बहन से क्यों नहीं मिलते,वह 12 साल से तेरा इंतजार कर रही है|

इस पर यमराज जी ने माता गंगा से माफी मांगी और वह उसके बाद अपनी बहन के पास गए और बहन से उसका हालचाल पूछा और बहन की आवभगत से खुश होकर यमराज जी ने कहा कि मैं तुम्हें कुछ वरदान देना चाहता हूं मांगो तुम क्या मांगती हो| इस पर यमराज की बहन ने कहा कि आप मेरे घर दोबारा आते रहे, मुझे यही चाहिए| और ऐसा ही यमराज जी ने यमुना जी को वरदान दिया|

 

राजा पुरु और सिकंदर  की कहानी

रक्षाबंधन से संबंधित ऐतिहासिक कहानी के अनुसार राजा पूरु और सिकंदर के बीच युद्ध चालू होने से पहले सिकंदर की पत्नी ने राजा पोरस से युद्ध में सिकंदर के प्राण ना लेने का वचन लिया था और राखी की कसम को मानते हुए राजा पोरस ने युद्ध में सिकंदर के ऊपर हमला नहीं किया|

 

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Conclusion

इस पोस्ट में आपने जाना “रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?” भाई-बहन के रिश्ते को मजबूती प्रदान करने वाला रक्षाबंधन नामक पवित्र त्यौहार क्या होता है? कैसे मनाया जाता है? उम्मीद है उपरोक्त जानकारी आपको पसंद आई होगी और इसे शेयर भी करेंगे|

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